
वाराणसी : आमतौर पर आंत फटने का इलाज पेट खोलकर ऑपरेशन से किया जाता है। 35 वर्षीय महिला जिसकी पित्त की थैली के ऑपरेशन के बात पित्त स्राव हो रहा था। उसके इलाज के लिए पेट में नली डाली गई थी। यह मरीज़ गैस्ट्रो विभाग सर सुंदरलाल अस्पताल, BHU, आई तो एण्डोस्कोपी के दौरान पाया गया कि उसकी छोटी आंत में तकरीबन 2 सेंटीमीटर का छेद (परफोरेशन) है।
आंत फटने का इलाज ज़्यादातर ऑपरेशन द्वारा किया जाता है। मरीज़ के साथियों से बात कर के गैस्ट्रो विभाग के डॉक्टरों ने मात्र दस मिनट में दूरबीन विधि से छोटी आंत में उपस्थित छेद को ओवेस्को क्लिप द्वारा बंद कर दिया। यह प्रक्रिया मरीज़ को हल्का बेहोश कर की गई। मरीज़ एवं पूरी प्रक्रिया की निगरानी प्रो. वी. के. दीक्षित, डॉ. एस. के. शुक्ला एवं. डॉ अनुराग तिवारी द्वारा की गई।
इस संदर्भ में डॉ. देवेश प्रकाश यादव ने बताया कि यह विधि आंत में छेद होने का नवीनतम इलाज है एवं इस विधि से किसी भी मरीज़ के पेट या आंत में खून बहने का इलाज बिना ऑपरेशन के किया जा सकता है। डॉ. अनुराग तिवारी ने बताया कि यह प्रक्रिया वाराणसी एवं पूर्वांचल में पहली बार इस्तेमाल की गई है।
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