जलालपुर : डॉ0 अजयेंद्र कुमार दुबे के आवास पर आयोजित श्रीमद् भागवत कथा के समापन दिवस के अवसर पर अयोध्या से पधारे पंडित शिव कुमार शास्त्री ने कथा के विश्राम दिवस के अवसर पर कही। सभी मानव समाज को फालतु नही पालतु भगवान की भक्ति मे बनना चाहिए ताकि जीवन सुलभता से कट जाये। उक्त बातें कुटीर चक्के मे उसी क्रम में पंडित प्रमोद कुमार शास्त्री ने कहा कि सभा में जब सभी देवताओं ने गुरु बृहस्पति को प्रणाम किया पर इंद्र सत्ता मद में चूर गुरु को प्रणाम न कर अपमानित किया। इसी को लेकर तत्काल गुरु वृहस्पति ने अपने पद का परित्याग कर दिया था। अभिमान से ग्रसित देवताओं ने विश्वरूप को अपना गुरु बनाया उसी समय देवासुर संग्राम में देवताओं की हार हो गई। महर्षि नारद ने देवराज इंद्र से कहा कि आप के नए गुरु तो शत्रु पक्ष के अभिवृद्धि का मंत्र पाठ कर रहे हैं इंद्र चकित रह गए।भागवत हमें यही संकेत करता है कि वंदनीय जनों का तिरस्कार करना अनर्थकारी होगा। गुरु की महती कृपा का विस्तारपूर्वक वर्णन करते हुए कहा कि गुरु सत्य मार्ग के प्रस्तोत होते हैं इनका स्थान संसार में सर्वोपरि होता है। कथा में भगवान नारायण के वाराह एवं नर्सिंग अवतार को रेखांकित करते हुए उन्होंने कहा कि दिती के दो पुत्र मे हिरण्याक्ष एवं हिरण्यकशिपु का उद्धार कर संसार में व्याप्त उनके भयाक्रांत से ग्रसित लोगों को मुक्ति दिलाई। भागवत भक्त प्रहलाद भगवान के प्रति निष्ठा एवं श्रद्धा का भाव विपरीत परिस्थितियों में ना छोड़कर पिता के द्वारा नारायण उपासना को मना करने एवं उनके द्वारा दिए जा रहे प्रताड़ना को सहते हुए भी नारायण भक्ति करना नहीं छोड़ी। इस अवसर पर डॉ राकेश मिश्र , कुवर भारत सिंह, उपेन्र्द दुबे, कृष्ण प्रताप दुबे ,अशोक यादव , कृष्ण लला दुबे ,आशीष तिवारी, धर्मेन्र्द दुबे ,प्रेमशंकर दुबे ,पंडित भूषण मिश्र , सुनिल वर्मा समेत सैकड़ों श्रोतागण उपस्थित रहे। आरती वंदन अभिराम दुबे ने किया।
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