
वाराणसी : नागरिकता संशोधन कानून के समर्थन में आज खंडवा (मध्यप्रदेश) के लोगों ने रैली निकाला। रैली के दौरान सम्मिलित लोगो ने काशी विश्वनाथ और संकट मोचन मंदिर में मत्था टेका। इस दौरान राष्ट्रभक्त वीर युवा मंच के संरक्षक अशोक पालीवाल कहा कि हम मध्यप्रदेश के राष्ट्रप्रेमी नागरिकगण भारत सरकार द्वारा बीते 12 दिसम्बर 2019 को संसद के दोनों सदनों में बहुमत से पारित कर लागू किये गए नागरिका संशोधन कानून का पूर्ण रूप से समर्थन करते हैं। उन्होंने कहा कि इसके लागू होने से देशभर के उन शरणार्थीयों को सम्मानजनक जीवन जीने का अवसर मिलेगा जो अपने मुल देशों (पाकिस्तान, बांगलादेश, अफगानिस्तान) में अपनी धार्मिक अल्पसंख्यकता के चलते अपमानित, प्रताड़ित जीवन जीने को विवश थे और इसी के चलते अपना और अपने परिवार और अपने धर्म का सम्मान बचाने के लिए भारत को अपना हितचिंतक मानते हुए यहां आ गये।

इस दौरान प्रियंका गांधी के वाराणसी के दौरे पर अशोक पालीवाल ने कहा कि कल जैसे ही हमने टीवी पर समाचार देखा कि प्रियंका गांधी CAA के विरोध में वाराणसी आयी है। जो कुछ कथा कथित लोग जो पूरे यूपी और देश मे CAA को लेकर लोगो को भ्रम फैला रहे है। उनको ये समर्थन दे रही है। इसलिए हम यहां आए की उन्होंने यहां आकर गंगा के घाट पर अपराध किया है, पाप किया गंगा को मैली किया है, तो हम अच्छे विचार व राष्ट्रीय विचारो से खंडवा से यहां आए है कि उनके द्वारा दी गई विचारों को धो सके और राष्ट्रवाद के लिए हम लोग पूरा देश मोदी जी के साथ है। CAA कानून के समर्थन में है इसलिए हम लोग खंडवा से यहां आए है। काशी विश्वनाथ का दर्शन करेंगे और बाबा भोलेनाथ को पूरे खंडवा की तरफ से CAA का एक समर्थन पत्र देंगे। इस दौरान उन्होंने कहा जब कांग्रेस की सरकार आएगी नही तो CAA हटाएगी कहा से ये देश पूरे राष्ट्रभक्तों से भरा पड़ा है।

उन्होंने कहा मैं मोदी जी से कहना चाहता हु, जो नेता देश को जला रहे है भड़का रहे उन्हें जेल के अंदर करो। इस दौरान उन्होंने कहा हम कामना करते हैं कि शीघ्र ही श्री राम जन्मभूमि पर भव्य मंदिर का निर्माण हो साथ ही काशी एवं मथुरा के मंदिर भी मुक्त हो एवं पाकिस्तान बांग्लादेश अफगानिस्तान इन देशों में हिंदू, सिख, बौद्ध,जैन एवं पारसियों पर हो रहे अत्याचार शीघ्र बंद करवाने हेतु भारत पहल करें एवं कोई कठिन निर्णय लें जिससे कि वहां पर हो रहे धार्मिक अत्याचार शीघ्र बंद हो। CAA का समर्थन भारतवर्ष के अधिसंख्य नागरिक कर रहे है, लेकिन अपने राजनीतिक,आर्थिक,धार्मिक स्वाथों के चलते कुछ राजनीतिक संगठनों एवं लोगों द्वारा इस कानून के विरोध के नाम पर राष्ट्र कि वैश्विक प्रतिष्ठा का एवं सार्वजनिक संपत्ति को हिंसात्मक तरीकों से क्षति पहुंचाने का कार्य एवं प्रयास किया जा रहा है जो कि स्पष्टतः राष्ट्रद्रोह का कार्य है।
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