
वाराणसी : काशी हिंदू विश्वविद्यालय(बीएचयू) में शिक्षक नियुक्ति के दौरान चल रहा भाषायी विवाद थमने का नाम नहीं ले रहा। मंगलवार को विश्वविद्यालय के हिंदी भाषी छात्रों ने इस संदर्भ में पीएमओ कार्यालय पर पत्रक सौंपा। इस दौरान छात्रों ने आरोप लगाते हुए बताया कि काशी हिन्दू विश्वविद्यालय में नियुक्तियों के साक्षात्कार में कुलपति द्वारा हिंदी भाषी अभ्यर्थियों के साथ भेदभाव किया जा रहा है।

उन्होंने कहा कि महामना द्वारा स्थापित इस बगिया का ध्येय हिंदी, हिन्दू एवं हिन्दुस्तान का संवर्धन करना है। जबकि वर्तमान कुलपति विश्वविद्यालय के मूल्यों एवं उद्देश्यों की धज्जी उड़ा रहे हैं। साक्षात्कार में अभ्यर्थियों को हिंदी बोलने पर अपमानित कर रहे हैं। कुलपति का यह भाषायी भेदभाव भारतीय संविधान के अनुच्छेद 351 का उल्लंघन है। छात्रों ने कहा कि इस विश्वविद्यालय में स्वयं राजभाषा का गठन हुआ है और यह हिंदी आंदोलन का केंद्र रहा है।
इस स्थिति में कुलपति प्रो. राकेश भटनागर द्वारा अभ्यर्थियों के साथ यह व्यवहार हम सभी को हताश करने वाला है। छात्रों ने मामले को संज्ञान में लेकर कुलपति के खिलाफ तत्काल कार्रवाई करने व उच्चस्तरीय जांच समिति का गठन करने की मांग की। छात्रों ने चेतावनी देते हुए कहा कि यदि उनकी मांगे पूरी नहीं कि गई तो वह सड़क पर उतरकर आंदोलन करने के बाध्य होंगे। इस दौरान उत्कर्ष द्विवेदी, अभिषेक सिंह, मृत्युंजय तिवारी, शत्रुघ्न कुमार मिश्रा, दुष्यंत चन्द्रवंशी समेत अन्य छात्र उपस्थित रहे।
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